एफईओए अधिनियम की सीमा के कारण हाफिज सईद जैसे आतंकियों पर कानूनी प्रावधान नहीं लागू हुए…

नई दिल्ली,। सरकार ने संसद की एक समिति को बताया कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के प्रावधानों को हाफिज सईद एवं कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के विरूद्ध लागू नहीं किया जा सका क्योंकि इन मामलों से संबंधित अपराध में शामिल धनराशि कानून के 100 करोड़ रूपये की सीमा से काफी कम थी।
सरकार ने कहा कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के प्रावधानों को हाफिज सईद एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के विरूद्ध लागू नहीं किया जा सका क्योंकि इन मामलों से संबंधित अपराध में शामिल धनराशि 8.93 करोड़ रूपये और 11.26 करोड़ रूपये थी।
संसदीय समिति ने कहा कि ऐसे में आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिये 100 करोड़ रूपये की सीमा के संबंध में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 में संशोधन के लिये वित्त मंत्रालय के साथ विदेश मंत्रालय सक्रिय रूप से कदम उठाएं।
समिति को यह देखकर निराशा हुई है कि वित्त मंत्रालय के 100 करोड़ रूपये की सीमा में ढिलाई देने के विचार से सहमत होने के बाद भी उसकी ओर से कानून में संशोधन के लिये कोई सक्रिय कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
संसद में हाल ही में पेश ‘विदेशों के साथ प्रत्यर्पण संधियों, शरण संबंधी मुद्दों, अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा और वित्तीय अपराधों के मुद्दों सहित भारत और अंतरराष्ट्रीय कानून’ विषय पर विदेश मामलों संबंधी स्थायी समिति के नौंवे प्रतिवेदन की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
भारतीय जनता पार्टी सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई जांच से पता चलता है कि आतंकवाद के वित्त पोषण, मादक पदार्थो की तस्करी और साइबर अपराध जैसे गंभीर आर्थिक अपराधों में शामिल कई भगोड़े अपराधियों के विरूद्ध भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सका क्योंकि इन मामलों से संबंधित अपराध में शामिल धनराशि 100 करोड़ रूपये की सीमा से काफी कम थी।
इसमें कहा गया है कि इन मामलों से संबंधित अपराध में शामिल धनराशि 8.93 करोड़ रूपये और 11.26 करोड़ रूपये थी।
विदेश मंत्रालय ने समिति को बताया कि अब तक प्रवर्तन निदेशालय ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत केवल 14 व्यक्तियों के विरूद्ध याचिका दायर की है। निदेशालय द्वारा 35 व्यक्तियों के संबंध में रेड कार्नर नोटिस (आरसीएन) जारी करने के लिये किये गए आवेदन में से अब तक 19 अभियुक्तों के खिलाफ आरसीएन जारी कराये गए हैं।
इसमें कहा गया है कि निदेशालय ने 27 आरोपियों के संबंध में प्रत्यर्पण संबंधी अनुरोध भी भेजा है। यह देखा गया है कि ऐसे कुछ मामलों में जिनमें आरसीएन या प्रत्यर्पण संबंधी अनुरोध भेजे गए हैं…उनमें भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत आवेदन दायर नहीं किया जा सका क्योंकि उक्त मामलों में 100 करोड़ रूपये की सीमा पूरी नहीं की जा सकी।
सरकार ने अपने उत्तर में समिति को बताया कि धन शोधन एक गंभीर आर्थिक अपराध है जिसका व्यापक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव होता है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांचे जा रहे धन शोधन मामलों में भी, ऐसे मामलों की एक श्रेणी है जिनमें आरोपी गंभीर आर्थिक अपराधों (भविष्य के अपराध) जैसे आतंकी वित्त पोषण, मादक पदार्थो की तस्करी, पर्यावरण संबंधी अपराध, भ्रष्टाचार आदि में शामिल हो सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि ऐसे अपराधी देश की सुरक्षा, आर्थिक एवं सामरिक हितों को प्रभावित करने की अत्यधिक क्षमता रखते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, यह पाया गया है कि गंभीर आर्थिक अपराधों से जुड़े मामलों में से कुछ भगोड़े आर्थिक अपराधी, अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए आवश्यक 100 करोड़ रूपये की मौद्रिक सीमा को पूरा नहीं करते हैं।
इसमें कहा गया है कि ऐसे अपराधों की भयावहता, गंभीरता और आर्थिक/सुरक्षा संबंधी प्रभावों को देखते हुए यह माना जाता है कि इस कानून के उद्देश्य और मंशा को प्रभावी ढंग से तब प्राप्त किया जा सकेगा, जब देश से भाग गए ऐसे अपराधियों की सम्पत्ति भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत जब्त कर ली जाएगी।
विदेश मंत्रालय ने अपने उत्तर में बताया कि आतंकवाद और नक्सलवाद के वित्त पोषण, मादक पदार्थो की तस्करी, साइबर अपराध, मानव तस्करी, हथियारों एचं विस्फोटकों की तस्करी जैसे गंभीर आर्थिक अपराधों से जुड़े मामले में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिये कोई मौद्रिक सीमा नहीं होनी चाहिए।
इसमें कहा गया है कि आर्थिक अपराधों की अन्य श्रेणियों के लिये इस सीमा को 100 करोड़ रूपये की मौजूदा सीमा से कम करके 10 करोड़ रूपये किया जा सकता है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…