क्यों जरूरत है आज समाज को नशा मुक्त समाज अभियान की…

क्यों जरूरत है आज समाज को नशा मुक्त समाज अभियान की…

जैसा की सर्वविदित है आजकल बड़े उत्साह के साथ समाज में नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल का…. चल रहा है इसमें लगातार समाज के सभी क्षेत्रों के लोग जुड़ रहे हैं चाहे सरकार के बेसिक स्कूल हो , निजी क्षेत्र के हाई स्कूल ,इंटर कॉलेज ,डिग्री कॉलेज या फिर बड़े विश्वविद्यालयों से जुड़े हुए लोग, डॉक्टर इंजीनियर अधिवक्ता तथा समाज के सभी अंग। आप अक्सर सोचते होंगे नशा मुक्त अभियान की जरूरत क्या है???
पश्चिमीकरण और आधुनिक बनने की दौड़ में आज समाज में क्लब, पब कल्चर हावी हो रहा है। बड़े और अमीर घरों में मेहमानों के स्वागत के लिए खुद के पब बार बने होते हैं, मेहमानों को शराब बड़े ही सलीके से और अपना ओहदा दिखाने के लिए परोसी जाती है। इस कल्चर को बड़ी ही आसानी से अत्याधुनिक जमाने की पिक्चरों में हाथ में गिलास लिए यह कभी सिगरेट के कश लेते देख सकते हैं। पिक्चरों में होने वाले इस प्रकार के खुलेआम नशे के प्रचार से युवा आकर्षित होता है उसे लगता है हीरो बनना है तो नशा करना होगा। कई बार हमने बड़े हीरो और हीरोइनों को ड्रग्स तथा अन्य नशे की लत में पकड़े जाने की खबर देखी और सुनी है। इस खोखली, और भ्रमित करने वाली आदर्शवादिता को तोड़ना होगा।
अब यदि बात मध्यमवर्ग की की जाए तो शायद यहां अभी कुछ पर्दे बाकी हैं मां/बाप और बेटे /बेटी साथ में बैठकर नहीं पीते। मेहमान नवाजी में कुछ घरों में ही शराब परोसी जाती है। शिष्टाचार और अनुशासन के कुछ नियम बनते हैं पर यदि घर में पिता नशा करते है ,तो पढ़ने वाले बच्चे भी अक्सर स्कूल जाने वाले रास्ते में पान की गुमटी में सिगरेट के कश लेते देखे जाते हैं यह बच्चे कोई और नहीं उसी वर्ग से आते हैं।
यदि बात निम्न वर्ग की करें तो यहां शायद मनोरंजन का इससे अच्छा और कोई साधन नहीं। बहुत ही मेहनत से दिहाड़ी मजदूरी या अन्य काम करके जो पैसे मिलते हैं उसे बेफिक्री से कई लोग नशे के सुपुर्द करके शाम को बैरंग घर वापस लौटते हैं ।उनकी पत्नी और बच्चे बड़े आस से दरवाजे की तरफ टकटकी लगाए देखते हैं कि शायद पिता, कुछ सब्जी या कुछ जरूरी सामान लेकर आएंगे, पर होता उल्टा है। इसी टेंशन में पत्नियों से गाली गलौज मारपीट लड़ाई झगड़ा होना आम बात है। कई बार तो नशे की लत में फंस कर बेटा अपने मां-बाप को ,तो कोई पिता अपने पूरे परिवार को बड़ी आसानी से कत्ल कर देते हैं। कभी न कभी आपने न्यूज़पेपर में ऐसी खबरें जरूर पढ़ी होंगी की दस रूपए के लिए बेटे ने मां को जान से मार दिया । एक गांव में एक पति अफीम और कोकीन का नशा करता था , नशे के लिए अपनी पत्नी को मार के भगा दिया। बच्चों समेत उसकी पत्नी मायके चली गई , पति एक दिन एक दुधमुहे पांच महीने के बच्चे को नशे की हालत में छीन लाया, जब वह बच्चा रोने लगा तो उसे बिजली का करंट लगाकर चुप करा दिया और यह चुप्पी हमेशा हमेशा के लिए थी, बच्चा जलकर काला हो गया, फिर उसे धूप में रख कर सुखा रहा था। इस अमानवीय घटना की कल्पना शायद आप नहीं कर पा रहे होंगे ,पर यह एक सच्ची घटना है।
चलिए इन सब को छोड़ देते हैं, आप कभी ना कभी किसी न किसी काम से घर के बाहर जाते हैं तो किसी मोड़ ,चौराहे या नुक्कड़ पर ऐसे एक्सीडेंट जरूर देखे होंगे जहां जो लोग नशे में नहीं थे, वह उस एक्सीडेंट के चपेट में आ गए।
किसी गाड़ी का ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चला रहा था, और अनियंत्रित हो,उस नशे में कई लोगों को रौंद दिया। किसी बाइक वाले को कुचल दिया इत्यादि। अक्सर गांव के लोग बाइक से शराब पीकर जा रहे होते हैं और उनका एक्सीडेंट किसी ट्रक बस या ट्रैक्टर से होकर उनकी मृत्यु होना आम बात होती है।
और इन सब में सबसे बड़ी विडंबना है यदि हम किसी भी सामाजिक स्तर की बात करें जहां अत्यधिक शराब का सेवन किया जाता है गुटखा ,भांग ,अफीम, कोकीन या अन्य प्रकार के घोषित और अघोषित नशे का सेवन होता है तो आप उसी स्तर में सबसे ज्यादा बलात्कार , मारपीट, हत्या जैसे अपराध तो देखते ही हैं पूरे परिवार की दुर्दशा का कारण वह एक शराब पीने वाला बनता है। यदि वह किसी का बेटा है तो माता-पिता अपना सब कुछ बेचकर खराब हुए लिवर और किडनी को बचाने का पूरा प्रयास करते हैं। यदि किसी घर का पति नशा करते हुए बीमार होता है तो पत्नी अपने जेवर गहने ,घर तक गिरवी रख कर उसका इलाज कराती है और यह चक्र एक भयंकर दुष्चक्र के रूप में परिवार के सामने खड़ा होता है। इस लत के कारण पैसा पहले बचा नहीं ,बाद में जो कुछ था या कर्ज के माध्यम से प्राप्त हुआ वह भी इलाज में खत्म हो जाता है, बच्चों की पढ़ाई लिखाई सब बर्बाद हो जाती है। बहुत ही बिरले केस आपने सुने होंगे ,जहां इस तरह की गंभीर बीमारियों के बाद मरीज स्वस्थ होकर वापस आया हो वरना ज्यादातर मृत्यु के आगोश में जाकर ही शांत होते हैं।
कहते हैं किसी देश के विकास की न्यूनतम इकाई वहां के कार्यकारी लोग होते हैं । उस देश के विकास में ,उस समाज के नियमों के उत्थान में, समाज की उन्नति में, उसे एक न्यूनतम व्यक्तिगत इकाई का बहुत बड़ा योगदान होता है। अतः यदि किसी देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना है तो वहां के युवाओं को नशे की लत लगा दी जाए यह बहुत ही अच्छा तरीका है क्योंकि यदि एक घर का युवा बिगड़ता है तो वह पूरा परिवार ही मानसिक शारीरिक और आर्थिक रूप से नष्ट हो जाता है।

        जैसा की विदित है लखनऊ मोहनलालगंज के सांसद माननीय कौशल किशोर जी ने अपने व्यक्तिगत प्रयास से नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल का चला रहे हैं जिसके माध्यम से पूरे देश भर में विभिन्न गांव कस्बे शहर जिलों के स्तर पर लोग अभियान से जुड़ रहे हैं इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है उस नई पीढ़ी को जो कि भविष्य में नशे की खरीदार बनेगी उसे जागरूक करना  ताकि वह नशा ना खरीदे।जब खरीदार ही नहीं होंगे ,तो नशे की दुकानें स्वत: ही बंद हो जाएंगी बिकती वही चीजें हैं जिसके खरीदार होते हैं।   जिस प्रकार जहर कोई नही खरीदता, क्योंकि उसे खाने से मरने का डर होता है आज भी बाजार में कठिनाई से उपलब्ध है जहर की दुकानें नहीं होती। नशा भी एक तरीके का जहर है जो धीरे-धीरे करके हमारे शरीर को खत्म करता है यह बात हमें आम जनमानस को समझानी होगी, जब नशे के खरीदार नहीं होगे तो नशा बेचने वाली दुकानें स्वत:ही बंद हो जाएंगी ।
        हमें एक ऐसा समाज बनाना होगा जहां नशे को ना कहना आम बात हो, यह तभी संभव है जब हम ज्यादा से ज्यादा समाज में जागरूकता अभियानों को खड़ा करें।  उनसे आम लोगों को जोड़ें ,इसका बेहतरीन उदाहरण नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल का सिद्ध हो रहा है जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोग बहुत ही शीघ्रता से जुड़ रहे हैं।      

      आप भी आभियान से जुड़ें और लोगों को जोड़ें ताकि वह दिन जल्द आए जब हमारा देश नशे के चंगुल से आजाद हो सके, हमारी युवा पीढ़ी मजबूत कंधों से देश की प्रगति में अपना योगदान देने के लिए खड़ी हो सके। नशा मुक्त हिंदुस्तान बनाकर ही हम  उन क्रांतिकारियों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर पाएंगे जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आजाद देश सौंपा था।
अभी जल्द ही हम पुराने वर्ष की विदाई और नए वर्ष के स्वागत का समारोह देखेंगे ।आपको हमें और हमारे समाज के सभी लोगों को मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि हमारा युवा जो उत्साह में रोमांच में पहली बार नशे की गिरफ्त में फसने वाला है ,उसे बचाया जा सके। पढ़ने वाले बच्चों को जागरूक किया जाए कि नशा करने से , मन,मस्तिष्क शरीर और परिवार बर्बाद होते हैं । अपनों को खोकर, इस गम में पूरा परिवार ताउम्र घुट घुट के मरने को विवश होता है ।
      आइए मिलकर अपने नव युवकों को नशे के चंगुल से बचाने का प्रयास करें । नशा मुक्त आंदोलनों  का समर्थन करें ,जो समाज के प्रत्येक स्तर के शुद्धिकरण के लिए, समाज में जाने अनजाने या किसी साजिश के तहत आ गई सबसे बड़ी बुराई नशे को खत्म करने के लिए आहूत किए गए हैं। 
  हजारों वर्ष की गुलामी से हमारे पूर्वजों ने अपनी कुर्बानी देकर इस देश को आजाद कराया था। भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अक्षुण धरोहर हमारे हाथों में हमारे पूर्वजों ने सौंपी है ,आइए मिलकर अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाएं, नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल का से हर स्तर से जुड़कर बच्चों को उनके जीवन में पहली सिगरेट पहला गिलास और पहला नशा देने वालों से बचाए।

……… किसी ने खूब कहा है
माप प्रतिष्ठा का बना, दारू जर्दा गुटखा पान।
युवावर्ग गुमराह है, तनिक न उसको भान॥
नशेबाज कहते सभी, तनिक ना आती लाज।
बीवी-बच्चे हो रहे, रोटी को मोहताज॥
कौड़ी मोल न रहे, खत्म जीवन का संग्राम।।

नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल का………..

@रीना त्रिपाठी

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…