ऑस्ट्रेलिया में पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए ठोस प्रयासों की जरुरत…
मेलबर्न,। जलवायु परिवर्तन पर समीक्षाओं के बीच आस्ट्रेलियाई पारिस्थितिक तंत्र के विनाश पर बहुत कम ध्यान दिया गया। जबकि उन्हें बचाना पूरी तरह संभव है।
आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड, न्यू साउथ वेल्स और ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र में वर्ष 2022 में लुप्तप्राय प्रजाति के तौर पर सूचीबद्ध किए गए आस्ट्रेलियाई कोआला प्रजाति के संरक्षण के प्रयास किए जाने की जरूरत है। लगभग 230 साल पहले ऑस्ट्रेलिया के यूरोपीय उपनिवेशीकरण के बाद से कम से कम 39 देशी स्तनपायी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं।
असाधारण और अद्वितीय पौधों और जानवरों वाले आस्ट्रेलियाई महाद्वीप में अब 1,900 से अधिक ऐसी प्रजातियां और पारिस्थितिक समुदाय हैं जिनका अस्तित्व खतरे में है।
ग्रेट बैरियर रीफ सहित उष्णकटिबंधीय से अंटार्कटिका तक के पारिस्थितिक तंत्र के पतन के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
पारिस्थितिक विज्ञानी और संरक्षणकर्ता जीवविज्ञानी दशकों से प्रकृति के व्यापक विनाश की जानकारी देते हुए चेता रहे हैं।
फिर 2019 में एक अंतर सरकारी निकाय ने पुष्टि की कि कई अनेक लोग रेखांकित कर रहे हैं कि हम पृथ्वी की छठी व्यापक विलुप्ति घटना के दौर में हैं।
जीवाश्म रिकॉर्ड को विलुप्त होने की ‘सामान्य’ दरों के संदर्भ के रूप में उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि अब विलुप्त होने की दर हमारी उम्मीद से सैकड़ों या हजारों गुना हैं।
यह जलवायु परिवर्तन से कम विनाशकारी संकट नहीं है, लेकिन इस ओर हमारा बहुत कम ध्यान जाता है। बहुत कम लोग जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण विनाश और विलुप्त होने से एक एकीकृत तरीके से निपटने की आवश्यकता को पहचानते हैं।
जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की तरफ वैश्विक रूप से काफी ध्यान दिया गया है। लेकिन जलवायु परिवर्तन एक आयाम है। यद्यपि हम पर्यावरण और जीवों के विलुप्त होने के बड़े संकट का सामना कर रहे हैं।
संरक्षण, आवास विनाश और संशोधन, आक्रामक प्रजातियों, प्रदूषण और बीमारी में निवेश में पर्याप्त वृद्धि के बिना प्रमुख खतरे बने रहेंगे।
अगर हम चीजों के बदलने की उम्मीद करते हैं, तो हमें मजबूत पर्यावरण कानून की जरूरत है, न कि कमजोर पर्यावरण कानून की। और अंततः यदि पर्यावरणीय गिरावट को रोकना है, तो हमें इन मुद्दों के मुख्य कारणों का सामना करना होगा जिसमें खपत और अस्थिर जीवन शामिल है।
जमीन पर अथवा पानी के नीचे वनों की रक्षा कॉर्बन को संरक्षित करने और संग्रहीत करने में मदद करती है जिससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलती है।
यह अनगिनत प्रजातियों के लिए घर भी प्रदान करता है। व्हेल की आबादी को बढ़ाने से महासागरों की उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया मौजूदा समय में लक्षित संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण और पुनर्प्राप्ति पर प्रति वर्ष लगभग 12 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च करता है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…