बैंकों की ऋणवृद्धि ने जमाराशि को पीछे छोड़ा…
मुंबई, 24 अक्टूबर। पिछले सप्ताह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक छोटी क्लिप वायरल हुई। इसमें एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति मुंबई की सड़कों पर सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की जमा योजनाओं का प्रचार करता दिख रहा है। ऐसे समय में जब बैंकिंग प्रणाली में तरलता अधिशेष पिछले एक या दो माह से कम हो गया और ऋण वृद्धि जमा वृद्धि से बड़े अंतर से आगे बढ़ रही है। जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए ऋणदाताओं का यह प्रयास आश्चर्यजनक नहीं है।
प्रणाली में जमा वृद्धि पिछले कुछ वक्त से ऋण वृद्धि से पीछे चल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़े के अनुसार, 7 अक्टूबर को समाप्त हुए पखवाड़े में ऋण वृद्धि 18 फीसदी से दशक के उच्चतम स्तर को छू गई, लेकिन जमा में 9.6 फीसदी की धीमी गति से वृद्धि हुई।
बढ़ते हुए ऋण-जमावृद्धि के अंतर ने इस चिंता को बल दिया है कि देनदारियों की वृद्धि की धीमी गति प्रणाली ऋण वृद्धि की सबसे बड़ी बाधा बन सकती है। इस महीने अपनी तिमाही आय की घोषणा करने वाले अधिसंख्य बैंकों ने उच्च ऋण वृद्धि दर्ज की है, लेकिन उनकी जमा वृद्धि ऋण वृद्धि को बड़े अंतर से पीछे देखी गई।
देश के दूसरे बड़ी निजी बैंक आईसीआईसीआई बैंक की ऋण बहि में जुलाई-सितंबर तिमाही में सालाना आधार में 23 फीसदी की वृद्धि देखी गई, लेकिन इसी अवधि के दौरान जमा वृद्धि मुश्किल से 12 फीसदी रही। आईआईसीआई के कार्यकारी निदेशक संदीप बत्रा ने कहा, ‘चलनिधि की तंगी को देखते हुए, वृद्धिशील ऋण वृद्धि मोटे तौर पर जमावृद्धि और उधार का एक कार्य होगा जिसे हम कर सकते हैं।
ग्राहकों का प्रस्ताव दरों को लेकर है और सुविधा, ब्रांड और विश्वास को लेकर भी है। हम इन सभी पर केंद्रित होने की कोशिश कर रहे है।’बत्रा ने कहा, ‘आगे यह कैसे कार्य करेगा, हमारी नजर इस पर है। यहां खुदरा जमा, चालू और बचत खाता जमा, कॉर्पोरेट जमा हैं और फिर उधार लेने की भी संभावना है। इसलिए, जो कुछ भी हमारे ढांचे के भीतर व्यावसायिक समझ में आता है, हम उसे करेंगे।’
सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाता केनरा बैंक की जुलाई-सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर वैश्विक जमा वृद्धि 9.82 फीसदी रही और इसी अवधि के दौरान घरेलू जमा में मुश्किल से 7.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि ऋण वृद्धि 20 फीसदी रही। हालांकि यह अंतर काफी अधिक है। केनरा बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एल वी प्रभाकर ने कहा कि जहां तक संसाधनों का संबंध है बैंक को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले पखवाड़े में बढ़िया जमावृद्धि देखी है। सावधि जमा खंड में, ग्राहकों द्वारा एक महत्वपूर्ण राशि जमा की गई है और जमा की संख्या पिछले 12 दिनों में 800,000 से अधिक हो गई है। इस वृद्धि से, जहां तक संसाधनों का संबंध है हमारे बैंक को किसी तरह की मुश्किल नहीं होगी।’प्रभाकर ने कहा, ‘हाल ही में, हमने जमा दरों में दो कारणों से वृद्धि की है, उच्च मुद्रास्फीति के कारण हम चाहते हैं कि हमारे जमाकर्ताओं को बेहतर ब्याज दर मिले।
हमारा परिचालन लाभ और शुद्ध लाभ बेहतर स्थिति में रहे। इसलिए हम अपने ग्राहकों को वापस भुगतान करना चाहते हैं।’यहां तक कि सितंबर तिमाही में ऐक्सिस बैंक की जमाराशियों में सालाना आधार पर 10 फीसदी की वृद्धि ने भी विश्लेषकों को निराश किया।
मैक्वेरी रिसर्च रिपोर्ट में सुरेश गणपति और परम सुब्रहमण्यम कहते हैं, ‘एलडीआर (ऋण से जमा अनुपात) 90 फीसदी के करीब है, बैंकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अग्रिम वृद्धि को ठीक रखने के लिए उच्च जमा वृद्धि पर जोर दें। इसके अलावा, वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में खुदरा सावधि जमा वृद्धि सपाट रही, प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए दरों में और बढ़ोतरी से शुद्ध ब्याज मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है।’
इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी सुमंत काठपालिया ने राशि जुटाने की अपनी रणनीति के संदर्भ में एक पोस्ट अर्निंग कॉल में कहा कि बैंक बाजार की तुलना में अधिक दरों की पेशकश जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा कहा है कि हम अपने विकास को जमाओं से धन देंगे। हमने यह भी कहा है कि हमारी देनदारियों की कीमत बाजार की तुलना में 50-75 आधार अंक अधिक होगी। इसलिए, मुझे लगता है कि हम इसे जारी रखेंगे। बेशक, हमारे पास ऐसे पोर्टफोलियो हैं जो विकासात्मक संघों से ऋण प्राप्त करते हैं और जैसे ही हम अपना व्यवसाय बढ़ाते हैं, हम उनका उचित उपयोग करेंगे।’
वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में इंडसइंड बैंक की जमा वृद्धि अपने समकक्षों से सबसे अधिक 15 फीसदी रही जबकि इसकी ऋण वृद्धि 18 फीसदी रही। देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक ऋणदाता एचडीएफसी बैंक की जमा वृद्धि शायद उद्योग में सबसे अधिक थी।
सालाना आधार पर 19 फीसदी जबकि इसकी ऋण वृद्धि सालाना आधार पर 23 फीसदी रही। बैंक की आय के बाद एनालिस्ट कॉल में एचडीएफसी बैंक के मुख्य वित्त अधिकारी श्रीनिवासम वैद्यनाथन ने कहा कि जमा दरों को निर्धारित करने के लिए बैंक के पास रीपो दर या सरकारी सुरक्षा प्रतिफल पर आधारित कोई फार्मूला नहीं है।
हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…