यूरोपीय दौरा ऊंच-नीच भरा रहा, पर इससे बहुत कुछ सीखा : सविता पूनिया

यूरोपीय दौरा ऊंच-नीच भरा रहा, पर इससे बहुत कुछ सीखा : सविता पूनिया

 

नई दिल्ली, 09 अगस्त । यूरोपीय दौरे पर दो महीने बिताने के बाद राष्ट्रमंडल खेलों से ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतकर स्वदेश लौटी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पूनिया ने मंगलवार को कहा कि यह दौरा “ऊंच-नीच भरा रहा और इससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला।” गौरतलब है कि सविता पूनिया की टीम ने जून में बेल्जियम और नीदरलैंड में एफआईएच हॉकी प्रो लीग मैचों से अपने यूरोपीय दौरे की शुरुआत की थी, जहां वे तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके बाद टीम ने नीदरलैंड और स्पेन में हुए एफआईएच महिला विश्व कप में हिस्सा लिया जहां वे नौंवे पायदान पर रहे। अंततः, भारत ने विश्व कप के खराब प्रदर्शन से वापसी करते हुए बर्मिंघम 2022 खेलों में कांस्य पदक जीता।

कप्तान सविता ने कहा, “यह काफी लंबा दौरा था, इसमें उतार-चढ़ाव थे लेकिन इसने हमें बहुत कुछ सिखाया। हमने अपने डेब्यू एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2021/22 अभियान में तीसरे स्थान पर रहते हुए दौरे की मजबूत शुरुआत की और फिर विश्व कप के दौरान खराब दौर से गुजरे। नौवें स्थान पर रहना निराशाजनक था, लेकिन बर्मिंघम 2022 राष्ट्रमंडल खेलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इससे आगे बढ़ना और सकारात्मक सीख लेना भी उतना ही महत्वपूर्ण था।” उन्होंने कहा, “उसके बाद हम नॉटिंघम में एक छोटे तैयारी शिविर में शामिल हुए थे, जहां हमने अपने प्रदर्शन का आत्मनिरीक्षण किया और अपनी गलतियों पर काम किया। हम ताज़ा विचारों के साथ आए और बर्मिंघम में एक समय में एक मैच पर ध्यान दिया। मुझे लगता है कि टीम की एकता ने भी हमें वापस लाने में मदद की। हमारे द्वारा साझा किए गए बंधन ने हमें टीम में सकारात्मक माहौल बनाए रखने में मदद की। इसने हमें वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करने और हमारे सामने आने वाली चुनौतियों से उबरने में मदद की।”

‘टीम के रूप में अंतिम क्षण तक कभी हार नहीं मानी’

कांस्य पदक जीतने के बारे में गोलकीपर सविता ने कहा, “हमने जो हासिल किया है उस पर हमें खुशी और गर्व है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने इसे कैसे हासिल किया है। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार को स्वीकार करना मुश्किल था। हमने अपना मनोबल हारा था, लेकिन यह हमारी कोच जेनेके शोपमैन थीं जिन्होंने हमें प्रेरित किया और हमें एहसास दिलाया कि हमारे पास अभी भी एक पदक के साथ घर लौटने का अवसर है। इसलिए, पदक का सारा श्रेय उन्हें जाता है। मुझे इस बात पर गर्व है कि हमने एक टीम के रूप में अंतिम क्षण तक कभी हार नहीं मानी।”

‘हमारा लक्ष्य अब पेरिस ओलंपिक 2024 में स्वर्ण पदक जीतना है’

उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए सिर्फ एक पदक नहीं है, यह एक प्रेरणा है। युवा पीढ़ी भी इससे प्रेरित होगी। हमारे अभियान के दौरान विश्व कप और साथ ही साथ राष्ट्रमंडल खेलों में हमारे प्रशंसकों ने जो समर्थन और प्यार दिया उसके लिए हम आभारी हैं।” सविता ने कहा कि टीम का लक्ष्य अब भी पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए सीधी योग्यता सुनिश्चित करने के लिए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना है। सविता ने कहा, “हम अपने परिवारों के साथ घर पर कुछ समय बिताएंगे और ताजा सोच के साथ शिविर में वापस लौटेंगे। हमारा लक्ष्य अब भी पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए सीधे क्वालिफाई करने के लिए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना है। हम एशियाई खेलों के एक साल के स्थगन को प्रशिक्षण के लिए अवसर मानते हैं। हमारे पास चरण-दर-चरण तैयारी करने के लिए महत्वपूर्ण समय है।

न्यूजीलैंड को शूटआउट में 2-1 से मात दी

भारतीय टीम ने अपने राष्ट्रमंडल खेलों के अभियान की शुरुआत क्रमशः घाना (5-0) और वेल्स (3-1) के खिलाफ लगातार जीत के साथ की, लेकिन अपने तीसरे मैच में इंग्लैंड से 1-3 से हार गई। उन्होंने पूल ए में दूसरे स्थान पर रहने के लिए अपने चौथे मैच में कनाडा के खिलाफ 3-2 से जीत दर्ज की। भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक ठोस प्रदर्शन किया, लेकिन शूटआउट की करीबी हार के कारण उस चुनौती को पार नहीं कर सका। इसके बावजूद भारतीय टीम ने हौसला नहीं हारा और रविवार को ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने के लिए न्यूजीलैंड को शूटआउट में 2-1 से मात दी। सविता ने इस मैच में तीन शानदार गोल रोके और भारत को 16 साल बाद राष्ट्रमंडल पदक दिलाया।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…