सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया से हारी भारतीय महिला हॉकी टीम, अब कांस्य के लिये खेलेगी…

सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया से हारी भारतीय महिला हॉकी टीम, अब कांस्य के लिये खेलेगी…

बर्मिंघम, 06 अगस्त। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में चल रहे मैचों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। बता दें कि बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम को शुक्रवार को सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया ने सेमीफाइनल में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। दरअसल पेनल्टी शूटआउट में भारतीय टीम को ‘बेईमानी’ का सामना करना पड़ा।

दरअसल, भारतीय गोलकीपर और कप्तान सविता पूनिया ने पहले शूट को बचा लिया था, लेकिन टाइमर ही चालू नहीं हो सका। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया को उसी शूट को दोबारा लेने का मौका मिला। इस पर उनके खिलाड़ी ने कोई चूक नहीं की और गोल दाग दिया। इससे भारतीय टीम उबर नहीं सकी और पेनल्टी शूटआउट में 3-0 से हार गई। हालांकि, टाइमर नहीं चालू होने की घटना ने भारतीय फैन्स में आक्रोश पैदा कर दिया है और वह अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन (एफआईएच) पर बेईमानी करने का आरोप लगा रहे हैं।

इतना ही नहीं मैच के दौरान कमेंटेटर्स ने भी इस फैसले की आलोचना की और कहा कि इसमें टीम इंडिया की क्या गलती है। हालांकि, उससे टीम इंडिया का मनोबल टूटा और भारतीय टीम शूटआउट में 3-0 से हार गई। भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच जोएर्ड मरिज्ने तक को इस घटना पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने ट्विटर पर रेफरी के फैसले पर निराशा व्यक्त की और लिखा- अविश्वसनीय।

ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के सामने पूरे मैच में भारतीय डिफेंडर्स ने बेहतरीन खेल दिखाया। डिफेंडर्स ने ऑस्ट्रेलिया को काउंटर अटैक नहीं करने दिया। वहीं, आखिरी क्वार्टर में भारत के फॉरवर्ड ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। वंदना के गोल से वापसी की और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को पेनल्टी शूटआउट के लिए धकेला। हालांकि, आखिर में हुई बेईमानी से भारतीय टीम टूट गई। कप्तान सविता मैच के बाद रोती दिखीं। हर कोई महिला टीम से स्वर्ण की उम्मीद कर रहा था।

शूटआउट में दोनों टीमों को पांच-पांच प्रयास मिलते हैं। हॉकी में पहले शूटआउट में पेनल्टी स्ट्रोक मिलता था, लेकिन नए नियम में खिलाड़ी को 26 मीटर की दूरी से गेंद को आठ सेकेंड तक ड्रिबल करते हुए गोलकीपर तक लाना होता है और फिर अपनी स्किल से गोल दागना होता है। शूटआउट के समय टेक्निकल टीम से दो ऑफिशियल गोल पोस्ट के पास खड़े होते हैं।

उनमें से एक के हाथ में स्टोपवॉच होता है। जैसे ही स्टोपवॉच पर आठ सेकेंड का टाइमर चालू होता है तो टेक्निकल टीम का दूसरा ऑफिशियर हाथ नीचे गिराकर रेफरी को शूटआउट चालू करने का इशारा करता है। इसके बाद रेफरी शूटआउट लेने वाले/वाली खिलाड़ी को आगे बढ़ने कहता है।

शूटआउट में भारतीय टीम का पलड़ा भारी माना जा रहा था, क्योंकि टीम इंडिया की गोलकीपर और कप्तान सविता पूनिया को दुनिया की सबसे बेहतरीन गोलकीपर्स में से एक माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया की टीम को शूटआउट का पहला मौका दिया गया। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ड्रिबल करते ही जैसे ही भारत के गोलपोस्ट के पास पहुंचीं, सविता ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए उन्हें गोल नहीं करने दिया।

गौर हो कि अगर ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम को पहले ही शूटआउट में गोल करने से रोका जाए, तो इससे किसी भी विपक्षी टीम का मनोबल बढ़ता है, लेकिन यहां कुछ उल्टा हुआ जिसने मैच का रुख ही बदल कर रख दिया। दरअसल, रेफरी ने टेक्निकल टीम को बिना देखे ही शूटआउट चालू करने का फैसला कर लिया, जबकि टेक्निकल टीम ने कभी हाथ गिराकर इसे शुरू करने का इशारा नहीं किया था।

शूटआउट शुरू होते ही टेक्निकल टीम की ऑफिशियल रेफरी को रोकने का इशारा भी करती हैं, लेकिन तब तक ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी गेंद को लेकर आगे बढ़ चुका होता है। बाद में जब टेक्निकल टीम की सदस्य रेफरी को यह बताती हैं तो रेफरी उस शॉट को रिटेक लेने के लिए कहती हैं।

हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…