भारत पश्चिम और दक्षिण एशिया के आर्थिक विकास में अहम योगदान देगा : संरा में भारतीय राजदूत
संयुक्त राष्ट्र, 27 जुलाई । भारत ने कहा है कि पश्चिम एशिया में शांति और समृद्धि में उसके अहम हित हैं और उसे नवगठित आई2यू2 के जरिए क्षेत्र तथा दक्षिण एशिया में ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने का विश्वास है।
आई2यू2 में भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अमेरिका शामिल हैं। इसमें ‘आई’ का मतलब भारत और इज़राइल से है जबकि ‘यू’ यूएई और अमेरिका के लिए है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूह के 14 जुलाई को हुए पहले डिजिटल सम्मेलन में हिस्सा लिया था और कहा था कि आई2यू2 ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा तथा आर्थिक विकास के क्षेत्रों में अहम योगदान देगा।
इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, इज़राइल के प्रधानमंत्री येर लापिद और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाहयान ने हिस्सा लिया था।
मोदी ने कहा था कि समूह ने सकारात्मक एजेंडा स्थापित किया है और इसकी रूपरेखा बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं की स्थिति में व्यावहारिक सहयोग के लिए एक अच्छा मॉडल है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रभारी राजदूत आर रवींद्र ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मंगलवार को ‘फलस्तीन का सवाल’ चर्चा में कहा, “ भारत के पश्चिम एशिया की शांति और समृद्धि में अहम हित हैं। हाल में आई2यू2 सम्मेलन में भारत, इज़राइल, यूएई और अमेरिका के नेता जल, ऊर्जा परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा के छह अहम क्षेत्रों में संयुक्त निवेश बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।”
उन्होंने कहा, “हमें यकीन है कि आई2यू2 के जरिए हम पश्चिम एशिया एवं दक्षिण एशिया में ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।”
रवींद्र ने इज़राइल और फलस्तीन में घटनाक्रम, खासकर हिंसक हमलों और आम लोगों की मौत तथा तबाही एवं उकसावे की कार्रवाई को लेकर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से हिंसा नहीं करने को कहता आया है और उन्होंने हिंसा रोकने के नई दिल्ली के आह्वान को दोहराया।
रवींद्र ने ज़ोर देकर कहा कि जब तक इज़राइल और फलस्तीन के बीच राजनीतिक समाधान नहीं होता है, तब तक क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि द्वि-राष्ट्र के समाधान के लिए राजनीतिक समर्थन के अलावा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पश्चिम एशिया में शांति प्रक्रिया फिर से शुरू करने के लिए ऊर्जा लगानी चाहिए और राजनीतिक प्रयास करने चाहिए।
रवींद्र ने कहा, “ भारत लगातार इज़राइल और फलस्तीन के बीच सीधी बातचीत का आह्वान करता रहा है। इस बारे में हमारा मानना है कि यह द्वि-राष्ट्र समाधान के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बेहतरीन रास्ता है।”
उन्होंने कहा कि यह बातचीत अंतरराष्ट्रीय तौर पर सहमत हुई रूपरेखा पर होनी चाहिए जिसमें फलस्तीन के लोगों की पूर्ण राष्ट्र की आकांक्षा और इज़राइल की सुरक्षा चिंताओं पर विचार किया जाना चाहिए।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…