कोविड-19 के कारण खाड़ी देशों से भारत में धन प्रेषण वित्त वर्ष 2020-21 में तेजी से घटा…

कोविड-19 के कारण खाड़ी देशों से भारत में धन प्रेषण वित्त वर्ष 2020-21 में तेजी से घटा…

मुंबई, 17 जुलाई। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक तनाव के कारण 2020-21 के दौरान भारत में खाड़ी देशों से आने वाले धन की हिस्सेदारी तेजी से कम हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक लेख से यह जानकारी मिली है।

लेख में आरबीआई के एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाएं प्रेषण के लिहाज से भारत के लिए महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभरी हैं, जिनकी 2020-21 में देश में आए कुल धन में हिस्सेदारी 36 प्रतिशत है।

आरबीआई ने वर्ष 2020-21 के लिए धन प्रेषण पर सर्वेक्षण के पांचवें दौर का आयोजन किया। इसमें धन प्रेषण के जुझारुपन में योगदान देने वाले कारकों का विश्लेषण किया गया और यह समझने का प्रयास किया गया कि महामारी ने धन प्रेषण प्रवाह की अंतर्निहित गतिशीलता को किस प्रकार बदला है।

आरबीआई के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग के अधिकारियों द्वारा तैयार लेख में कहा गया है, ‘‘भारत के आवक धन प्रेषण में खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछली सर्वेक्षण अवधि 2016-17 में 50 प्रतिशत से अधिक थी जो 2020-21 में घटकर लगभग 30 प्रतिशत होने का अनुमान है।’’

हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और ये आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

आरबीआई के जुलाई बुलेटिन में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि कुल मिलाकर, कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत का आवक धन प्रेषण चालू खाता प्राप्तियों का एक जुझारू स्रोत साबित हुआ है।

वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान खाड़ी देशों से धन प्रेषण में गिरावट, प्रवास की धीमी गति और भारतीय प्रवासियों की ऐसे अनौपचारिक क्षेत्रों में बड़ी मौजूदगी को दर्शाती है जो महामारी के प्रकोप के दौरान सबसे अधिक प्रभावित हुए थे। परिणामस्वरूप, इस अवधि में कुल प्रेषण में छोटे आकार के लेनदेन का अनुपात बढ़ गया।

अमेरिका ने शीर्ष स्रोत देश के रूप में संयुक्त अरब अमीरात को पीछे छोड़ दिया। 2020-21 में कुल धन प्रेषण में उसकी हिस्सेदारी 23 प्रतिशत रही।

लेख में कहा गया है कि यह विश्व बैंक की रिपोर्ट (2021) के अनुरूप है जिसमें कहा गया है कि भारत के लिए धन प्रेषण में वृद्धि का एक बड़ा कारण अमेरिका में आर्थिक सुधार है और यही वजह है कि यह कुल प्रेषण का लगभग 20 प्रतिशत है।

जीसीसी क्षेत्र में मजबूत प्रभुत्व वाले पारंपरिक धन प्रेषण प्राप्तकर्ता राज्यों केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक का हिस्सा 2020-21 में लगभग आधा हो गया है, जो 2016-17 से कुल प्रेषण का केवल 25 प्रतिशत है।

जबकि महाराष्ट्र, केरल को पछाड़कर शीर्ष प्राप्तकर्ता राज्य के रूप में उभरा है।

इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से खाड़ी देशों में जाने वाले लोगों की संख्या हाल के वर्षों में बढ़ी है।

विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में जीसीसी क्षेत्र के लिए स्वीकृत आव्रजन मंजूरी का 50 प्रतिशत से अधिक इन राज्यों के लिए था।

कम वेतन वाले अकुशल मजदूरों की अधिक संख्या के साथ, धन प्रेषण में उनकी हिस्सेदारी काफी कम रही है, जबकि 2020-21 में महाराष्ट्र और दिल्ली की हिस्सेदारी में काफी वृद्धि हुई है।

लेख में यह निष्कर्ष भी निकाला गया है कि अधिकांश धन प्रेषण निजी क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से जारी है, इसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं। हालांकि विदेशी बैंकों से धन प्रेषण लेनदेन में मामूली वृद्धि देखी गई है।

लेख के मुताबिक महामारी के दौरान कुल धन प्रेषण में अधिक हिस्सेदारी वाले छोटे आकार के लेनदेन से तनावग्रस्त आय परिस्थितियों के स्पष्ट संकेत मिलते हैं।

हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…