वाहन कंपनियों पर इनपुट लागत भारी…
मुंबई, 26 मार्च। रूस और यूक्रेन के बीच जंग के कारण जिंस कीमतों में भारी बढ़ोतरी ने वाहन कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है। चालू वित्त वर्ष के दौरान कीमतों में हुई लगातार वृद्धि के बाद विनिर्माताओं को डर है कि अब किसी भी मूल्य वृद्धि से मांग प्रभावित हो सकती है जबकि कुछ श्रेणियों में मांग पहले से ही कमजोर है।
एक वाहन कंपनी के अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘हम कई बार कीमतें बढ़ा चुके हैं और अब तत्काल कीमत नहीं बढ़ाई जा सकती है। हम स्थिति पर करीबी नजर रखना होगा और उसी के अनुरूप पहल करनी होगी।’ यहां तक कि टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स जैसी कंपनियों के लिए भी बढ़ी हुई लागत का पूरा बोझ ग्राहकों के कंधों पर डालना कठिन है। जबकि टाटा मोटर्स की मात्रात्मक बिक्री और ऑर्डर बुकिंग दमदार रही है।
टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के प्रबंध निदेशक शैलेष चंद्र ने कहा कि इस वित्त वर्ष के दौरान जिंस कीमतों में हुई वृद्धि के कारण कंपनियों के राजस्व पर औसत भारित प्रभाव करीब 5 फीसदी रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम इस प्रभाव का महज 50 फीसदी हिस्सा ही बाजार में आगे बढ़ाने में समर्थ रहे हैं।’
टाटा मोटर्स ने अपने वाहनों की डिलीवरी की प्रतीक्षा करने वालों को मूल्य सुरक्षा की पेशकश की है। चंद्र ने कहा कि जिंस लागत में वृद्धि के शेष प्रभाव को दूर करने के लिए कंपनी आंतरिक लागत में कटौती करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
रिलायंस सिक्योरिटीज के अनुसंधान प्रमुख मितुल शाह ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के दौरान वाहन कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बरकरार रहने के आसार हैं। उन्होंने कहा, ‘अधिकतर कंपनियों ने पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान कीमतों में बढ़ोतरी की है जिससे कुल मिलाकर मूल्य निर्धारण पहले ही उच्च स्तर पर है। ऐसे में चालू और अगले महीने के दौरान मूल्य वृद्धि के आसार कम दिख रहे हैं। वे मांग में सुधार होने तक इंतजार करेंगे। तब तक जिंस कीमतों में भी स्थिरता आने की उम्मीद है।’
वाणिज्यिक वाहन विनिर्माताओं को भी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। टाटा मोटर्स के वाणिज्यिक वाहन कारोबार ने वित्त वर्ष 2022 की हरेक तिमाही में करीब 2 फीसदी की मूल्य वृद्धि की है। मूल्य वृद्धि वाहन के मॉडलों और वेरिएंट्स के आधार पर अलग-अलग है।
टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने कहा, ‘जिंस कीमतों में तेजी, विशेष तौर पर इस्पात और कीमती धातुओं के दाम बढऩे से यह आवश्यक हो गया है कि कंपनी बढ़ी हुई लागत के एक हिस्से को अपने उत्पादों के दाम बढ़ाकर आगे सरकारए।’
वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2021 के दौरान वाणिज्यिक वाहन उद्योग में क्रमश: 30 फीसदी और 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन अब ओमीक्रोन लहर के खत्म होने और केंद्रीय बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि की घोषणा के साथ ही वाघ को आगामी तिमाहियों में बिक्री में सुधार दिखने की उम्मीद है।
इस बीच, लक्जरी कार बनाने वाली अग्रणी कंपनी मर्सिडीज बेंज इंडिया ने अपने सभी मॉडलों की कीमतों में करीब 3 फीसदी की वृद्धि करने की घोषणा की है। कंपनी ने कहा है कि यह मूल्य वृद्धि 1 अप्रैल से प्रभावी होगी। कंपनी ने कहा है कि इनपुट लागत में लगातार हो रही वृद्धि के अलावा लॉजिस्टिक लागत में तेजी के कारण समग्र लागत पर काफी दबाव दिख रहा है।
मर्सिडीज बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी मार्टिन श्वेंक ने कहा कि स्थायी कारोबार के संचालन के लिए मूल्य वृद्धि आवश्यक है क्योंकि इससे इनपुट एवं परिचालन लागत में लगातार हो रही वृद्धि से निपटने में मदद मिलती है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…