एक्साइटिंग करियर है मरीन बायोलॉजी…
टीवी पर दिखाये जाने वाले समुद्री जीवों जैसे शार्क, व्हेल को देखकर उनके साथ गोते लगाने की इच्छा होती है? अगर हां, तो आप अपने पैशन को प्रोफेशन के साथ जोड़कर मरीन बायोलॉजी में करियर बना सकते हैं। मरीन बायोलॉजी के क्षेत्र में कई ऑप्शन मौजूद हैं, जिन्हें आप अपनी काबिलियत और कौशल के अनुसार चुन सकते हैं। मरीन ऑर्गनिज्म के अध्ययन को मरीन बायोलॉजी और मरीन आर्गनिज्म यानी समुद्र में रहने वाले जीव-जंतुओं के जीवन, व्यवहार और समुद्री वातावरण के साथ उनके तालमे ल का अध्ययन करने वालों को मरीन बायोलॉजिस्ट कहते हैं, इन्हें बायोलॉजिकल ओशिनोग्राफर्स भी कहते हैं। मरीन बायोलॉजिस्ट वास्तव में वैज्ञानिक होते हैं, जो पौधों, जलीय जीवों, बैक्टीरिया और उन सभी चीजों का, जो समुद्र की गहराइयों का हिस्सा हैं, का अध्ययन करते हैं। साथ ही, वे समुद्र के साधारण नियम जैसे केमिकल और फिजिकल ओशेनोग्राफी का भी अध्ययन करते हैं। मरीन बायोलॉजी के क्षेत्र में कई ऑप्शन हैं इसलिए ज्यादातर मरीन बायोलॉजिस्ट अपनी पसंद का क्षेत्र चुनकर उसमें विशेषज्ञता हासिल करते हैं। विशेषज्ञता भी खास प्रजाति, ऑर्गनिज्म, बिहेवियर, टेक्नीक या इको-सिस्टम पर आधारित होती है। जैसे कुछ मरीन बायोलॉजिस्ट व्हाइट शार्क, ब्लू व्हेल या डॉल्फिन को अध्ययन के लिए चुनते हैं। मरीन बायोलॉजिस्ट से जुड़े ऑप्शन्स:
बायोमेडिकल फील्ड:- मरीन टेक्नोलॉजी मरीन बायोलॉजिस्ट्स के लिए बेहतर अवसर प्रदान कर रही है। मरीन बायो-टेक्नोलॉजी से जुड़ा रिसर्च बताता है कि इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं मौजूद हैं। सबसे ज्यादा डिमांडिंग बायो-मेडिकल फील्ड है, जिसमें वैज्ञानिक ऐसी दवाइयां डेवलप करते हैं, जो मरीन ऑर्गनिज्म से बनती हैं।
मॉलिक्यूलर बायोलॉजी:- मॉलिक्यूलर भी इस फील्ड में विशेषज्ञता हासिल करने का क्षेत्र है। इसके शोधकर्ता तालाबों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक के वातावरण और विभिन्न ऑर्गनिज्म, माइक्रोस्कोपिक बैक्टीरिया, पौधे से लेकर पशुओं और समुद्री जीव-जंतुओं के लिए मॉलिक्यूलर तकनीक का प्रयोग करते हैं। जैसे मॉलिक्यूलर बायोलॉजी सूक्ष्मतम जांच के जरिये पानी के किसी सैंपल में उपस्थित स्पेसिफिक ऑर्गनिज्म की पहचान करता है। यह तब ज्यादा उपयोगी साबित होता है जब वह ऑर्गनिज्म माइक्रोस्कोपिक हो। मॉलिक्यूलर टेक्नीक में किसी ऑर्गनिज्म के डिजीज का अध्ययन भी शामिल है। शो धकर्ता इसके जरिये एंटीबॉडी डेवलप करते हैं जो किसी विशिष्ट वायरस के लिए होता है, इसलिए जब वह वायरस ऑर्गनिज्म में मौजूद होता है, तो उसे डायग्नोज करना आसान और समय की बचत वाला है।
एक्वाकल्चर:- फिनफिश, शेलफिश और सीविड् स का पालन एक्वाकल्चर कहलाता है, जिसे मरीन बायोटेक्नोलॉजी और मॉलिक्यूलर टेक्नीक के साथ जोड़ा जाता है। भारत में एक्वाकल्चर का महत्व है। यहां मछलियों और शैलफिश की बहुत मांग है। यहां की मछलियां पारंपरिक मछली पालन से बड़ी होती हैं।
दूसरे क्षेत्र:- मरीन बायोलॉजी से जुड़े दूसरे प्रसिद्ध क्षेत्र हैं इनवायरमेंटल बायोलॉजी और टॉक्सिकोलॉजी। दोनों क्षेत्रों का हमारे समाज पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इनवायरमेंटल बायोलॉजी और टॉक्सिकोलॉजी के विशेषज्ञ पानी की गुणवत्ता पर शोध करते हैं कि समुद्री वातावरण में पानी के प्रदूषण के लिए कौन से तत्व जिम्मेदार हैं। मरीन एंड इनवायरमेंटल कंसल्टेंट हमारे समाज में महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं क्योंकि ये वातावरण की सुरक्षा के लिए नियम- कानून और स्वच्छता के मापदंड तय करते हैं। शोध से संबंधित दो और महत्वपूर्ण फील्ड हैं जिनमें मरीन मैमल्स बायोएक्यूस्टिक्स एंड वोकलाइजेशन (मरीन मैमल्स की आवाज का अध्ययन) और पॉपुलेशन डायनेमिक्स (मरीन मैमेलियन के व्यवहार और वातावरण की स्थिति पर प्रतिक्रिया का अध्ययन) शामिल है।
आवश्यक कौशल:- इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक कैंडिडेट्स में बायोलॉजिकल साइंस के प्रति गहरा लगाव अनिवार्य है। पड़ताली दिमाग के साथ विज्ञान की थ्योरी और फैक्ट्स को समझने, विश्लेषण और याद रखने की क्षमता जरूरी है।
योग्यता:- मरीन बायोलॉजी को करियर बनाने के लिए सेकेंडरी एग्जामिनेशन से लेकर मास्टर्स डिग्री तक के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। मास्टर्स में विज्ञान से संबंधित और ज्यादा से ज्यादा 70 प्रतिशत अंक जरूरी हैं। दाखिले के लिए बायोलॉजी, मरीन बायोलॉजी या इससे संबंधित विषय में स्नातक अनिवार्य है। तरक्की के लिए मास्टर्स डिग्री जरूरी है। वसर
अवसर:- विभिन्न सरकारी, गैरसरकारी और शोध संस्थान जैसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशेनोग्राफी के अलावा यूनिवर्सिटी में लेक्चरर हो सकते हैं। यूजीसी के नियमानुसार, अगला प्रमो शन केवल आपके टीचिंग एक्सपीरियंस पर आधारित न होकर रिसर्च एक्सपीरियंस पर भी निर्भर करेगा। इसके जरिये पीएचडी के लिए किसी रिसर्च आर्गनाइजेशन, यूनिवर्सिटी या डीम्ड यूनिवर्सिटी से रिसर्च फैलोशिप भी हासिल कर सकते हैं।
आय:- करियर की शुरुआत में 12,000 रुपए प्रतिमाह आय हो सकती है। अनुभव के साथ- साथ 25,000 रुपए से ज्यादा प्रतिमाह कमा सकते हैं।
करियर प्रॉस्पेक्ट्स:- बायो के विकास और मरीन पॉल्युशन के प्रति जागरूकता, मेडिसिन और फूड टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में समुद्री संसाधनों के प्रयोग की तकनीक के विकास के कारण मरीन बायोलॉजिस्ट की मांग बढ़ी है। हालांकि अभी इनके लिए अधिक मौके यूनिवर्सिटी और रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में हैं, फिर भी प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ने के साथ ही बायोसाइंटिस्ट के साथ ही मरीन बायोलॉजिस्ट्स के लिए भी अपार संभावनाएं हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट