डिजास्टर मैनेजमेंट में बनाएं सुनहरा कॅरियर…
यह सच है कि आपदा रोकी नहीं जा सकती, लेकिन प्लानिंग से काफी हद तक जन-धन की हानि रोकी जा सकती है। यह सारा काम आपदा प्रबंधन के अंतर्गत आता है। इसीलिए आपदा प्रबंधन से जुड़े विशेषज्ञों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। सीबीएसई सहित कई प्रमुख बोर्ड ने इसे अपने पाठयक्रम का हिस्सा बनाया है।
इंटरमीडियट के बाद करें कोर्स
आपदा प्रबंधन में कोर्स स्ट्रक्चर के आधार पर 12वीं के बाद छात्र अंडरग्रेजुएट व सर्टिफिकेट कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। इसके अलावा मास्टर तथा एमबीए में ग्रेजुएशन के बाद दाखिला मिल सकता है। पीजी कोर्स के बाद छात्र यदि पीएचडी करना चाहें तो उन्हें निराश नहीं होना पड़ेगा। इस प्रोफेशन में ट्रेनिंग की विशेष दरकार होती है। इसकी बदौलत आप किसी भी तरह की चुनौतियों एवं प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं।
रोजगार के भरपूर अवसर
आपदा प्रबंधन का कोर्स करने के बाद सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सामने आते हैं। सरकारी विभागों के फायर डिपार्टमेंट, सूखा प्रबंधन विभाग आदि में भी भर्ती की जाती है। विदेशों में छात्र अपना करियर इमरजेंसी सर्विस, लोकल अथॉरिटी, राहत एजेंसी, एनजीओ, यूएनओ, वर्ल्ड बैंक, एमनेस्टी, एशियन डेवलपमेंट बैंक, रेड क्रॉस, यूनेस्को जैसी इंटरेशनल एजेंसी में बना सकते हैं। ये संस्थाएं प्रोफेशनल्स के लिए ट्रेनिंग का भी आयोजन कराती हैं। रिस्क मैनेजमेंट सेंटर, कंसल्टेंसी कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी, डाक्यूमेंटेशन, इंश्योरेंस कंपनियों, स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर, एनआईडीएम में भी जॉब की संभावनाएं हैं। प्रोफेशनल्स खुद की कंसल्टेंसी के साथ टीचिंग एवं ट्रेनिंग में भी अवसर तलाश सकते हैं।
क्यान है डिजास्टरर मैनेजमेंट
किसी आपदा के आने पर आपदा प्रबंधन के रूप में कई तरह के कार्य किए जाते हैं। इसमें पीड़ितों को राहत, विशेष रूप से उनकी देखभाल, आपदा का मूल्यांकन, जांच, पुनस्र्थापना एवं पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शामिल है। आपदा प्रबंधन को इमरजेंसी मैनेजमेंट भी कहा जाता है।
वेतन
प्रोफेशनल्स को शुरुआती दौर में 15-20 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। दो-तीन साल का अनुभव होने पर 25-35 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से मिल जाते हैं। इस क्षेत्र में कई ऐसे प्रोफेशनल्स हैं, जिनको डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह का पैकेज मिला है। विदेशी कंपनियां वेतन के मामले में भारतीय कंपनियों से अधिक पैसा देती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हैं तो 40-50 हजार रुपये तथा खुद की कंसल्टेंसी या विदेशों में सेवाएं देने पर आमदनी का कोई निश्चित स्वरूप नहीं होता।आज कई सरकारी अथवा गैर-सरकारी संस्थाएं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रही हैं। प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत जहां सूखा, बाढ़, भूकंप व सुनामी आदि को शामिल किया जाता है, वहीं मानवीय आपदा में बम ब्लास्ट, गैस रिसाव और आगजनी आदि आते हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…