देखिए रेगिस्तान के हिल स्टेशन की 7 खूबसूरत जगहें…
राजस्थान का लोकप्रिय पर्यटन स्थल माउंटआबू प्रकृति की नायाब देन है। यह राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। अब यह भारतवासियों के साथ-साथ विदेशी सैलानियों का भी मुख्य आकर्षण बनता जा रहा है। भाग-दौड़ से भरे जीवन में एन्जॉय करने के लिए माउंटआबू सबसे प्यारा रमणीय स्थल है। गर्मीयो के दिनों में लोग यहां कुछ पल सुकुन से गुजारने, मनोरंजन और मौज मस्ती करने आते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार यहां पर पास के खड्डे में मुनि वशिष्ठ की गाय ‘नंदिनी’ गिर गई। मुनि ने गाय को बाहर निकालने के लिए सरस्वती नदी से सहायता मांगी, इस पर मुनि वशिष्ठ ने सोचा कि यह खड्ड तो हमेशा के लिए सिरदर्द रहेगा। अतः उन्होंने हिमालय से खड्ड भरने के लिए निवेदन किया। इस पर हिमालय ने अपने छोटे लंगड़े पुत्र नन्दीवर्धन को खड्ड भरने की आज्ञा दी।
नंदीवर्धन एक विशाल सर्प के फन पर बैठकर गया एवं उसे खड्डे के भरने पर उस पर जो पर्वत खड़ा किया वह उस सर्प की शर्त के अनुसार माउंट आबू ‘अर्बुद’ के नाम से पुकारा जाने लगा। इसी पर्वत पर ‘अर्बुदा’ देवी का मुख्य मंदिर 5,500 हजार वर्ष पुराना मंदिर प्राचीन तीर्थ है। एक आधारशिला के नीचे स्थित होने के कारण इसे अधरदेवी भी कहते हैं। आइए, अब हम आपको इस खूबसबरत हिल स्टेशन की कुछ खूबसबरत जगहों के बारे में बताते हैं।
- गुरूशिखर
अरावली की सबसे ऊंची चोटी ‘गुरुशिखर’ आबू नगर से लगभग 16 किमी. दूरी पर है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 5653 फीट है। इस चोटी पर भगवान दत्तात्रेय मंदिर है। यहां एक विशाल घंटा है जिसकी ध्वनि हजारों फीट नीचे मैदानी भाग में सुनाई पड़ती थी।
- अचलगढ़ का किला
अचलगढ़ शहर में अचलेश्वर महादेव जी का मंदिर है। अचलेश्वर मंदिर से आगे एक दुर्ग आता है जिसके कारण इसे अचलगढ़ के नाम से जाना जाता है। अचलेश्वर मंदिर के आगे सीढ़ियां चढ़कर लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर है। फिर जैन तीर्थकर कुथुनाथ का मंदिर है जिसमें पीतल की विशाल मूर्ति है।
- नक्खी झील
यह झील आबू पर्वत की सुन्दरता में चार चांद लगाती है। नक्खी झील गंगा व पुष्कर झील के समान ही पवित्र मानी गई हैं। मान्यता है कि बालम रसिया ने इस झील को अपने नाखूनों से खोदा था। झील के चारों ओर पर्वतीय चट्टानें हैं जिनमें एक मेढ़क के आकार की विशाल चट्टान है। जिसे टॉडराक के नाम से जाना जाता है। इस झील पर कार्तिक पूर्णिमा को स्नान करने की विशेष महत्ता है।
- विश्वविख्यात देलवाड़ा जैन मंदिर
विश्वविख्यात देलवाड़ा जैन मंदिर अपनी अ्द्भुभुत कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है। यह बस स्टेशन से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। यहां के तीन मंदिर मुख्य हैं-पहला विमल वसहिं, दूसरा-लूणवसहिं, तीसरा-पित्तलहर या भीमाशाह का मंदिर।
- विमलवसहिं
यह मंदिर 1031 में चन्द्रावती के दंडनायक एवं अणहिलवाड़ा के व्यापारी विमलशाह की ओर से बनाया गया। इस मंदिर को बनाने में उस समय 18 करोड़ 53 लाख रुपये खर्च हुए। हर स्तंभ छतरी एवं बेदी की बनावट व सजावट प्रस्तर की बारीक खुदाई भी भिन्न-भिन्न प्रकार से की गई है। 14 वर्षो में 15 सौ कारीगरों, 12 सौ श्रमिकों की ओर से कठिन परिश्रम से बनकर तैयार इस मंदिर के लिए विमल शाह ने अनेक युद्ध भी किए थे।
- लूंणवसहिं मंदिर
इसका निर्माण गुजरात के सोलंकी राजा वीरध्वज के महामंत्री वस्तुपाल व तेजपाल नामक दो भाईयों ने करवाया। इस मंदिर पर 12 करोड़ 53 लाख रुपये की लागत आयी और 15 सौ कारीगरों की सहायता से यह मंदिर सात वर्ष की अवधि में बनकर तैयार हुआ। यह मंदिर 22वें जैन तीर्थकर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है।
- भीमाशाह का पित्तलहर का मंदिर
इस मंदिर में प्रथम जैन तीर्थकर आदिनाथ की 108 मन वजन की पीतल धातु की प्रतिमा है। इसका निर्माण अहमदाबाद के सुल्तान महमूद बेगड़ा के दरबारी सुंदर व गदा ने किया था। पीतल की मूर्ति के कारण ही इसे पित्तलहर कहते हैं। इन मंदिरों को बाहर से देखने पर इनकी सरलता से भीतर की भव्यता का अनुमान लगाना अत्यंत कठिन है। यह दर्शकों के लिए दोपहर 12 से सायंकाल 6 बजे तक खुला रहता है।
- अन्य स्थल
श्री रघुनाथ मंदिर,वशिष्ठ आश्रम, ब्रह्माकुमारी ओमशांति भवन, ज्ञान सरोवर, संत सरोवर, सूर्यास्त स्थल, अनादरा प्वाइंट, सूर्योदय स्थल, शंकर मठ, लख-चैरासी, अग्नि कुण्ड, ननराक, बेलेज वॉक, देव आंगन, नीलकंठ महादेव, पीस पार्क, विवेकानंद गार्डन, पालनपुर प्वाइंट, कोदरा डेम्प, मुख्य बाजार स्थित बिहारी जी मंदिर आबू के पर्यटन स्थलों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…