औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती से उद्यमियों में नाराजगी…
फरीदाबाद, 10 दिसंबर । उद्योगों में जनरेटर चलाने को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की टीम द्वारा बरती जा रही सख्ती से उद्यमियों में गहरी नाराजगी है। बृहस्पतिवार को आयोग की टीम ने चार उद्योगों का निरीक्षण करने के दौरान उन्हें नोटिस जारी किए थे। शुक्रवार को भी आयोग की टीम को चार उद्योग में जनरेटर चलने के बारे में सूचना मिली। इनमें से दो सेक्टर-25, एक नहरपार व एक डीएलएफ औद्योगिक क्षेत्र का था। आयोग की टीम ने इन सभी को 12 दिसंबर तक किसी भी सूरत में कारखाने न चलाने का नोटिस दे दिया है। ऐसे अब तक करीब 30 उद्योगपतियों को नोटिस देकर उनके कारखाने बंद कराने की सूचना है। आयोग की इस कार्रवाई से उद्योगपतियों में गहरी नाराजगी है। यहां बता दें सरकार ने 12 दिसंबर तक पीएनजी-सीएनजी और बिजली को छोड़ कर अन्य ऊर्जा स्त्रोत से उद्योग चलाने पर प्रतिबंध लगाया है।
बृहस्पतिवार के मुकाबले शुक्रवार को वायु प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 थोड़ा बढ़ गया। शुक्रवार को यह स्तर 291 तक पहुंच गया जबकि बृहस्पतिवार को यह 263 था। शुक्रवार को हवा की गति धीमी थी। इसका असर प्रदूषण के स्तर पर पड़ा। हालांकि एनसीआर के कई शहरों के मुकाबले औद्योगिक जिले की हवा कुछ बेहतर रही। सरकार व आयोग के आदेश-निर्देशों का सभी उद्योगपति बखूबी पालन कर रहे हैं, लेकिन बृहस्पतिवार और शुक्रवार को नौ उद्योगों को दिए गए नोटिस उचित नहीं है। बिजली जाने के बाद फंसे हुए माल को मशीन से बाहर निकालने के लिए तुरंत जनरेटर चलाना जरूरी है। वरना लाखों रुपये का नुकसान हो जाता है। यही नहीं अब बड़े उद्योगों में लिफ्ट लगी हुई हैं। लिफ्ट से लोगों के अलावा माल भी ऊपर नीचे जाता है, ऐसी सूरत में अगर बिजली चली जाए, तो क्या फिर लोगों का या माल को लिफ्ट में ही छोड़ देना चाहिए। ऐसी आपात परिस्थितियों से निपटने के लिए जनरेटर मजबूरी में चलाना पड़ता है। आयोग इस विवशता को समझे। ऐसी स्थिति में उद्योगों पर कार्रवाई करना ठीक नहीं है।
-बीआर भाटिया, प्रधान, फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन वायु प्रदूषण बढ़ने को लेकर हम सभी चितित हैं, लेकिन इस समय उद्योगपतियों को बेवजह परेशान किया जा रहा है। कुछ व्यवहारिक परेशानियां हैं जिन्हें समझना जरूरी हैं। बिजली जाने के बाद यदि जनरेटर नहीं चलाया तो लिफ्ट में माल फंसा रहेगा। कमीशन की टीम थोड़ी देर जनरेटर चलाने पर भी क्लोजर नोटिस दे रही है। हम इस कार्रवाई का विरोध करते हैं।
-जेपी मल्होत्रा, प्रधान, डीएलएफ इंडस्ट्री एसोसिएशन जनरेटर चलाने में अधिक खर्चा आता है। इसलिए किसी उद्योगपति को शौक नहीं है। मजबूरी में जनरेटर चलाना पड़ता है। 24 घंटे बिजली न मिलने की वजह से कुछ देर के लिए जनरेटर चलाना पड़ जाता है ताकि उद्योगों को नुकसान न हो। ये बात कमीशन की टीम को समझनी होगी।
-जीएस त्यागी, प्रधान, फरीदाबाद स्माल स्केल इंडस्ट्री एसोसिएशन
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट